द गर्ल इन रूम 105–६८
उसके बाद तुम्हें क्या हो गया?' 'शट अप' मैंने कहा। वह फिर हंस दी।
'सॉरी, सॉरी, मां ने बैठक में घुसते हुए कहा। वो अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोंछ रही थी। 'तुम्हें भूख लगी है?' ""नहीं, मां। तुम बैठ जाओ। मैं तुम दोनों को एक-दूसरे से अच्छी तरह से इंट्रोड्यूस कराता हूँ।" 'हा, बेटा, मां ने मेरी तरफ खेह से देखते हुए कहा। वो सोफे पर बैठ गई और अपने पास वाली जगह को
थपथपाकर इशारा किया जारा उठकर वहीं जा बैठी। *मां, ये जारा हैं। दिल्ली से मेरी फ्रेंड जारा, ये मां हैं। में इनका इकलौता बेटा हूं और ये मेरी इकलौती मां
जारा ने दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार किया और मुस्करा दी। 'जारा, और उसके आगे क्या?
"जारा लोन, आंटी।" 'ओह,' मां ने कहा और चुप हो गई। फिर वे थोड़ा तेज गति से बोलने लगी, मानो अपने असहज होने को
छुपाना चाहती हो।
"तुम बहुत खूबसूरत हो, बेटा। क्या तुम कोई मॉडल-वॉडल हो?"
"मों, कम ऑन, मैंने बीच में टोकते हुए कहा। उसने बीटेक के बाद सीधे आईआईटी में पीएचडी एडमिशन लिया है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं।"
"सॉरी, मैं तो तारीफ ही कर रही थी।' जारा ने कहा, आपका घर भी बहुत खूबसुरत है। मुझे दीवार पर लगी सभी तस्वीरें भी बहुत अच्छी लगीं।" "थैंक यू बेटा। देखो, ये कितनी बेल मैनई है. मां ने मुझसे कहा।
यू.
"तो क्या मैं नहीं हूं?' मैने कहा ।
'लड़कों को तो पता ही नहीं होता कि बातें कैसे की जाती हैं। मैंने हमेशा से चाहा है कि मेरी कोई बेटी
होती, ' मां ने कहा । फिर वे ज़ारा की ओर मुड़ीं। 'ये लोन लोग कहा के होते हैं?" भारत में जब तक लोग यह ना जान लें कि आप कहां के रहने वाले हैं, तब तक वे यह तय नहीं कर पाते कि आपके साथ सहज हुआ जा सकता है। या नहीं।
'मैं कश्मीर से हूं, आंटी। श्रीनगर से कोई दस साल पहले दिल्ली चली आई थी।' "कश्मीरी ओह, मां ने ओह को थोड़ा खींचते हुए कुछ यूं कहा, जैसे मैं किसी मंगल ग्रह पर रहने वाली
लड़की को ले आया हूं।
"कश्मीर भी इंडिया में ही है, मां, मैंने थोड़ा कटाक्ष के स्वर में कहा।
"पता है। देखा ना, लड़कों को बात करने का सलीक़ा ही नहीं आता, उन्होंने ज़ारा की ओर देखते हुए कहा। फिर मुझसे बोली, 'अपनी मेहमान को अपना रूम दिखाया?"
उन्होंने ज़ारा को 'मेरी मेहमान' कहा था, 'मेरी दोस्त' नहीं, जबकि वे उसे केवल जारा' भी कह सकती थीं। इसे बहुत अच्छी शुरुआत नहीं कहा जा सकता था। 'दिखा दूंगा, मैंने कहा
‘गुड,' फिर से ज़ारा से मुखातिब होते हुए बोलीं, 'तुम अलवर आज देखना चाहोगी या कल?"
"जब भी केशव चाहे हम देखने जा सकते हैं।' मां ने इस 'हम' शब्द से थोड़ा चकित होकर मेरी ओर देखा ।
"वैसे भी अलवर में देखने को ज्यादा जगहें नहीं हैं। चलो, अभी खाना खाते हैं। जारा, होप यू डॉट माइंड, यहां शुद्ध शाकाहारी खाना मिलेगा।'
"कोई बात नहीं, आटी। मुझे तो शाकाहारी खाना बहुत पसंद है।'
'नहीं मुझे लगा, तुम लोग मांसाहारी खाना ज्यादा पसंद करते हो ।'
जब पैरेंट्स आपकी गर्लफ्रेंड को 'तुम लोग' कहें तो यह यकीनन अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता है।